Friday 26 September, 2008

वाह रे मेहमाननवाजी

क्रिकेट की दुनिया बड़ी अजीब है, मेहमानों की अगर ढंग से सेवा करो, सहूलियतें दो, तो खुद मेजबानों में असंतोष फैल जाता है और इसे गलत भी नहीं ठहराया जा सकता। जयपुर में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम डेरा डाले हुए है और सवाई मानसिंह स्टेडियम में उसको इतनी ज्यादा सुविधाएं मिली हुई हैं कि भारत से ऑस्ट्रेलिया तक चर्चा है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने जहां राजस्थान क्रिकेट संघ की आलोचना की है, वहीं ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड हमारे आरसीए का तहेदिल से शुक्रगुजार है। इस घटना के दो पक्ष हैं, पहला पक्ष, किसी प्रतिद्वंद्वी टीम को इतनी खेल सुविधाएं देना अपनी हार का इंतजाम करना है, दूसरा पक्ष, भारत में क्रिकेट की दुनिया में प्रतिद्वंद्वी को बेहतर सुविधा देकर एक अच्छे दौर की शुरुआत की जा रही है।
सब जानते हैं, भारतीय टीम जब ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाती है, तो उसे एक-एक सुविधा के लिए जूझना पड़ता है। practice के लिए ऐसी पिच दी जाती है, जो वास्तविक मैचों वाली पिचों से अलग होती है। लेकिन ऑस्ट्रेलियाई मेहमान टीम को जयपुर में दस तरह की पिचें मुहैया कराई गई हैं। रिकी पोंटिंग को spin का खास अयास करवाया जा रहा है। भारतीय गेंदबाजों की एक टोली ऑस्टे्रलियाई बल्लेबाजों को यहां के माहौल के अनुरूप ढालने में जुटी है। वैसे भी मेहमान टीम निर्धारित आगमन से सप्ताह भर पहले आई है और भारत के विवादास्पद और विफल कोच रह चुके ग्रेग चैपल के नेतृत्व में ऑस्ट्रेलियाइयों को अयास करवाया जा रहा है।
ग्रेग खांटी ऑस्ट्रेलियाई हैं और हमारे आरसीए में सलाहकार होने के साथ ही क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया में सम्मानित स्तंभ हैं। ग्रेग न तो भारतीय टीम में कोई कमाल दिखा पाए थे और न राजस्थान में कोई कमाल दिखा पाए हैं। अव्वल तो जब उन्हें भारतीय कोच के पद से हटना पड़ा था, तब उन्होंने भारतीयों को भला-बुरा कहा था, लेकिन तब भी राजस्थान में आरसीए ने उनको `पधारो म्हारे देस´ का मधुर आमंत्रण दिया। भारतीय टीम से भगाए गए, तो शायद भारी पैसों के लिए अपमान का घूंट पीकर राजस्थानी टीम से जुड़ गए, लेकिन उन्होंने राजस्थान को दिया क्या? आज वे ऑस्ट्रेलियाई टीम को भारत में ऐतिहासिक जीत दिलवाने के प्रयास में लगे हैं, तो अफसोस उनका साथ देने वालों की कमी नहीं है।
कोई शक नहीं, भारत की मेहमाननवाजी की कोई तुलना नहीं है, हम आदिकाल से भले-बुरे हर तरह के अतिथियों की राह में बिछते आए हैं। इस बार कंगारुओं का आतिथ्य सत्कार ऐसा हुआ है कि ऑस्ट्रेलियाई बोर्ड को आगे आकर बोलना पड़ा है, `अब जब भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया आएगी, तब हम भी उन्हें उसी तरह की सुविधाएं देंगे।´ कदापि विश्वास नहीं किया जा सकता कि ऑस्टे्रलियाई बोर्ड हमारी भलमनसाहत देखकर खुद भी हमारे लिए बड़े दिल वाला हो जाएगा। आधुनिक क्रिकेट में पूरी धूर्तता के साथ अंडरआर्म गेंदबाजी करवाने वाले चैपल और अंपायरों को आउट या नॉट आउट का इशारे करवाने वाले बदजुबान रिकी पोंटिंग तो भारत में मिली सुविधाओं का आभार तक नहीं मानेंगे। क्रिकेट को युद्ध समझने वाले कंगारू रणनीतिकार तो मन ही मन प्रसन्न होंगे कि भारतीय क्रिकेट ढांचे में चैपल की घुसपैठ का अच्छा फायदा उठाया गया। ऑस्ट्रेलियाई बोर्ड अब शायद क्रिकेट खेलने वाले देशों में एक-एक चैपलों की घुसपैठ कराने की रणनीति पर विचार करेगा। अफसोस, आरसीए उस टीम की सेवा में लगा है, जो भारत में कप बटोरने के इरादे से आई है, वे जीतेंगे, फोटो खिंचवाएंगे और सामने अगर बीसीसीआई अध्यक्ष शरद पवार भी आ गए, तो धक्का दे देंगे और माफी तक नहीं मांगेंगे।

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