Thursday 18 August, 2011

पिता की मछलियाँ

मेरे बाजुओं में सिर्फ पानी है
लेकिन पिता ने पाली हैं
बाजुओं में मछलियां।
जिन पर हम भाइयों ने गुमान किया।
उन मछलियों के साए में हम पले।
पिता कभी जिम नहीं गए
खेतों-अखाड़ों में जूझकर
पाली मछलियां तगड़ी-मोटी।
लेकिन अब पिता नहीं,
दरअसल मछलियां बूढ़ी हो रही हैं।
पहले की तरह खुराक नहीं मांगतीं।
कलेवर-तेवर नहीं दिखातीं।
हम चाहते हैं खूब खाएं,
फडक़े, कसें और फैली रहीं मछलियां
लेकिन इन दिनों नहीं मानती मछलियां।
वे उतनी ही जिद्दी हैं
जितना कि वक्त।

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